- दामनी का केस कितना लम्बा चलेगा और क्या फैसला आयेगा सब राम भरोसे है क्यूँकि........
तमाम दिन इंतज़ार में बीते
पर इम्तहान बरबादी था
अपने हक में होगा फैसला
सोचना ही जल्दबाजी था
निगाहे लाख टिका लो उम्मीद पर
पर मामला बुनयादी था
चलती सियासत की हरदम
फिक्र किसे कब आबादी का
हर आवाज़ दब जाती समय के साथ
अब आदत हुयीं नाकामी का
आवाज़
दो
अंतर्मन
को
जो शांत किसी गुमसुम की तरह,
जो दबा के बैठा अपनी टीस को,
आवाज़ दो उस अंतर्मन को
किस लिए यह मौनता
किस लिए कर्ण और जीभा पर,
किया आमंत्रण विराम को,
कि उपस्तिथि रही नाम को
तोड़ो निरंतर इस चुप्पी को
और आवाज़ दो अंतर्मन को
जो है विराजमान हृदय में
उस विकट झंझावर को
अब तो कुछ विराम दो
जब तक चुप्पी टूटेगी नहीं
तब तक अनियंत्रित दर्द और वेदना
कुरेदगी भीतरी इनसान को
और खत्म हो जाएगी लालसा
स्थापित करने अपने ही सम्मान को
इस लिए चुप्पी को विराम दो
और आवाज़ दो अंतर्मन को
जो दबा के बैठा अपनी
दर्द वेदना और टीस को,
जो शांत किसी गुमसुम की तरह,
जो दबा के बैठा अपनी टीस को,
आवाज़ दो उस अंतर्मन को
किस लिए यह मौनता
किस लिए कर्ण और जीभा पर,
किया आमंत्रण विराम को,
कि उपस्तिथि रही नाम को
तोड़ो निरंतर इस चुप्पी को
और आवाज़ दो अंतर्मन को
जो है विराजमान हृदय में
उस विकट झंझावर को
अब तो कुछ विराम दो
जब तक चुप्पी टूटेगी नहीं
तब तक अनियंत्रित दर्द और वेदना
कुरेदगी भीतरी इनसान को
और खत्म हो जाएगी लालसा
स्थापित करने अपने ही सम्मान को
इस लिए चुप्पी को विराम दो
और आवाज़ दो अंतर्मन को
जो दबा के बैठा अपनी
दर्द वेदना और टीस को,