- यत्न प्रयत्न का अंत न हो
जबतक विजय जीवंत न हो
तुम लगे रहो तुम डटे रहो
पुरूषार्थ मार्ग पर बने रहो
जीवन तो है कठोर तपस्या
अशक्त न हो देख् समस्या
...बिना कर्म के प्रभुत्व कहा
दुर्बल निर्बल का महत्व कहा
कर्मठ मानुस तो हार नही
साहस बिन जीवन पार नहीं
इच्छित लक्ष्य से साक्षात्कार नहीं
विकट विपदाओं का निस्तार नहीं
हो मात्र आस् परंतु प्रयत्न न हो
स्व:इच्छाओं का किंचित तत्व न हो
आत्म शक्ति पर अधिपत्य न हो
निरी योजना पर योग्य क्रत्य न हो
तो संघर्षों भरा जीवन पार नहीं होता
दाँव पैच से जीवन में श्रंगार नहीं होता
कटुसत्य अनुकम्पा से जीवन पार नहीं
बिन कर्म किए अचल अचर उद्धार नही
निकम्म को अकर्म का पुरुस्कार नहीं
परंतु यदि हो तेजस्वी तो तिरस्कार नही
सघन विवश्ता से किले विध्वंश न हो
जब तक धनुधर के अंकित अंश न हो
तो हे मानुस लगे रहो तुम डटे रहो
है जटिल घड़ी वज्र समान तने रहो
यत्न प्रयत्न का अंत न हो
जबतक विजय जीवंत न हो
जीवंत सच्चाइया जिन्हें देख कर भी हम अनदेखा कर देते है उन्हीं सच्चाइयो के झरोखे में झाँकने को मजबूर मेरा मन और उस मन कि व्यथा अपने ही जैसों को समर्पित करना ही मेरा उद्देश्य है, और मेरा निवेदन है कि मेरी सोच में जो अधुरापन रह भी गया है उस पर आप लोगो की कीमती टिप्पणी यदि समय समय पर मिलती रहे तो शायद कोई सार्थक तत्व समाज कि जागरूकता में योगदान दे सके!
Monday, August 13, 2012
यत्न प्रयत्न का अंत न हो
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