Tuesday, February 14, 2012

हम राह


आज पीछे मुड़ के देखता हूँ,
कैसे यह सफर तय किया सोचता हूँ
कौन कौन हम राह थे मेरे,
वजह जिनके दूर हुए थे अंधेरे,
मेरी थकान में बंने जो राहत 
दी दर्दे दवा जब रहा मै आहत!
पुराने धुँधली सी तसवीर उभर आती है!
और यह आँखें अश्रु से भर जाती है!
बीते दिनों में कहा गए वे सारे,
जिन्हें भूल गया, वे अपने थे सारे!
इतने अपने कि कहूँ राजदार हम्हारे!
हुये आँखों से ओझल मै खड़ा किनारे!
ढुंढता फिर से, दिल दिल से पुकारे!
मेरे वजूद के गवाहों का पता बता रे! 
आज फिर मै अपनों को तलाशता हूँ!
कैसे भूल गया ख़ुद से ही पूछता हूँ!

बिना जिनके एक पल भी था दूभर!
आज नहीं उनकी कोई खोज ख़बर!
क्या समय ऐसे भी बदल जाता है!
कोई अपना भी यादों से ओझल हो जाता है!
आज इस फितरत पर बड़ा हैरान हूँ!
अपनी ही सही पर हक़ीक़त से परेशान हूँ!

आज पीछे मुड़ के देखता हूँ,
कैसे यह सफर तय किया सोचता हूँ


Monday, February 13, 2012

अमावस की रात


यह अमावस की रात इतनी लंबी नहीं!
एक नई नवेली सुबह से दूर तुम भी नहीं! 
सोच को इतना संकीर्ण ना करो!
अपनी उमंगों में इतना तेज भरो!
की हर उदासिया हार के समीप हो!
नजदीकियो में खुशियों के दीप हो!
जिदगी कभी धूप तो कभी छाव है!
कभी हार कभी जीत भरा दाँव है!
किनारे दूर नहीं ये केवट की नाव है!
बदलती दिशाये तो हवा का बहाव है!
जीतता वही जिसे जीत से लगाव है!
दूरियों में सीमा और मंजिले अंधी नहीं! 
आकाश है पुकरता, बंदे तुम बंदी नहीं! 
यह अमावस की रात इतनी लंबी नहीं!
एक नई नवेली सुबह से दूर तुम भी नहीं! 

Thursday, February 9, 2012

तूफान अभी बाकी है!


किसी ने कहा की....
तिहाड़ खुले रखाना तू अपने दरवाजे रात दिन,
कुर्सियों पर अब तलक कई बेईमान अभी बाकी है! 
तो मेरा जबाब है.......
आज उन बेइमानो को आगाह कर दो,
सुधार जाए क्योकी मतदान अभी बाकी है!
मुफलसी के सैलाब में बह जायेंगे,
जनता के आक्रोश में तूफान अभी बाकी है!
हिंदू मुस्लिम के नाम पर न भड़काओ,
अमन और शांति पसंद इनसान अभी बाकी है!
बुजुर्गों की नसीहत और बच्चो की दुआये,
युवा शक्ति से भरा नौजवान अभी बाकी है!
सियासत न कर कोशिस जर्जर मेरी इमरात,
मज़बूत इरादों भरी बुनियाद का मकान अभी बाकी है!
तेरी हर चाल पर जो शैय और मात दे सके,
वतन कि जमी पे वह ठाकुर और पठान अभी बाकी है!
रजिया और लक्ष्मीबाई की रणभुमि यही,
उसी नारी शक्ति से भरी खान अभी बाकी है!
ये चुप्पी में ना समझ बुझदिलो की तारीफ,
जो मुँह तोड़ जबाब दे सके वह जान अभी बाकी है!
जिंदगी मौत से कहीं बदतर ना हो जाए तेरी,
बुंदेलो और वीर मराठों की संतान अभी बाकी है!

भारत कहा है!



इतिहास के पन्नों में ढुंडता की,
भारत कहा है!
आजाद ख्वाबों में सजी,
वह इमरात कहा है!
विश्वा के पटल पर दिखे, 
वह शोहरत कहा है!
कट्टरता से परे सदभाव कि, 
इबादत कहा है!
तुम मेरे और हम तेरे, 
ये कहावत कहा है!
मिलके मनाये त्यौहार, 
वह इंसानियत कहा है!
बे-इंसाफियत पर खुल के, 
खिलाफत कहा है!
देश के गद्दारो के खिलाफ, 
जुनुने बगावत कहा है!
माटी की खुशबू और,
खुशनुमा तबीयत कहा है!
इतिहास के पन्नों में ढुंडता, 
की भारत कहा है!
जिसके बदौलत मिलीं आजादी,
यादों में वह शहादत कहा है!
हालात से हारे लोगो में,
क्यू बसी नफरत यहा है!
आज बेबसी भरी जिंदगी,
जीने की कुबत कहा है!
सियासत नाम नहीं सेवा का,
लुटेरों के नाम से बेज्जत यहा है!
कैसे कटे दिन रात,
हर पल की हुज्जत यहा है!
मरने मारने पर उतारू,
कैसी अजब नफरत यहा है!
प्रजातंत्र तो कोरा मजाक,
तानाशाही कि हुकूमत यहा है!
हुआ गरीब और गरीब,
अमीर पसंद सियासत यहा है! 
देख कलफता दिल मेरा,
कि हमवतन की इज़्ज़त कहा है!
देश से बड़ा नेत्रत्व हुआ,
मातृभूमि कि हैसियत कहा है!
इतिहास के पन्नों में ढुंडता की,
भारत कहा है!
आजाद ख्वाबों में सजी,
वह इमरात कहा है!

Wednesday, February 8, 2012

अब उत्तर प्रदेश कि राष्ट्र भक्त जनता को तय करना है, उन्हें राम राज्य चाहिए या रोम राज्य??




सिरह उठी अंतर्मन पीर!
देख समस्या गंभीर!
इटली आगे हल्की भीड़!
जाने क्यू धीर अधीर!
सबके चित पत्थर पड़े!
हम दोनों हाथ जोर खड़े!
मनमोहन की आड़ में!
इटली बाला राज करे!
छलनी करे विदेशी तीर!
वह री भारत की तक़दीर!
पराधिन की जकड़ी जंजीर! 
बह गए स्वप्न रह गए नीर!
सिरह उठी अंतर्मन पीर,
देख समस्या गंभीर!
किसके बस है राम राज!
कौन सवारे अपना आज! 
हमसे मिटी देश की लाज!
हम्ही करे कुछ ऐसा काज! 
जो परिवर्तन की आँधी हो!
फिर सैतालिस जैसी क्रांति हो!
एक सैलाब फिर शांति हो!
ना दुविधा न भ्रांति हो!     
बुलंद करो भारत की रीड़!
बदलो चाल यह भेड़ भीड़! 
सुन लो अपनी अंतर्मन पीर!
और बदलो देश दशा गंभीर!

Monday, February 6, 2012

शिक्षा का व्यवसायीकरण

कभी 55 प्रतिशत से पास अपने बच्चे को कलेजे से लगा कर बाप फूला नहीं समाता था पुरे मोहल्ले


में लड्डू बाटता और कहता मेरा लल्ला गुड़ सैकेंड क्लास पास हो गया पर आज 90 प्रतिशत से पास


बच्चे के पसीना छूट जाता है की अगले दर्जे में प्रवेश कैसे होगा, पहले स्नातक के बाद घर बैठे नौकरी


का बुलावा आ जाता था आज के हालत ऐसे बदले की चप्पले घिस जाती है पर नौकरी नहीं मिलती


उस पर निकम्मी सरकार शिक्षा का व्यवसायीकरण करने में लगी है दिखावे के लिए निजी 


विधयालयो में मासिक शुल्क पर अंकुश तो लगाती है परंतु उन्हें खुली छूट होती है की बिल्डिंग 


वेलफेयर, कम्पियुटर क्लासेस, एक्स्ट्रा एक्टीविटी, और भी तमाम दवंद फंद से लोगो की जेबों पर 


डाका डाल सके! एक ओर वह कानून बनाकर शिक्षा को निःशुल्क और अनिवार्य बताती है, वहीं 


दूसरी ओर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत शिक्षा को क्रय-विक्रय की वस्तु बनाना चाहती है।


पढ़ाई पूरी करके जब एक युवा जीवन के प्रथम अध्याय यानी रोजगार के लिए निकलता है तो भी


सरकारी उदासीनता का शिकार होना पड़ता है क्योकी सरकार के पास पर्याप्त रोजगार ही नहीं है 


एव्म जो है वहा भी रिश्वत खोरी है यानि लल्ला पास होकर भी फेल ही हो जाता है यह दुर्भाग्य 


आज कि नईपीणी को विरासत में मिला है!

बीमारियों पर अनुसंधान!

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद ने रविवार को कहा कि दक्षिण एशियाई देशों को 


प्रभावित करने वाली और उच्च मृत्यु दर के लिए उत्तरदायी बीमारियों पर अनुसंधान करने के 


लिए मिलकर काम करना चाहिए!




नेता जी देश वासियों कि सबसे बड़ी बीमारी यह है की देश बीमार है और देश की बीमारी का वाइरस


विभिन्न प्रकार के भ्रष्टाचार जो तुम नेताओं की देन है तुम लोगो ने देश को खोखला कर दिया आज


लोग कुपोषण के शिकार है, जो तुम लोगो की देन पानी गंदा, वायु दूषित, भूख और गरीबी!

तुम अरबों रुपयों का घोटाला कराते हो और मात्र 32रुपये कमाने वाले को गरीबी रेखा से ऊपर का 


दिखलाते हो, इसलिए आदर्शवाद का नाटक छोड़ो स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद, उच्च मृत्यु दर 


के लिए उत्तरदायी बीमारिया नहीं तुम लोग हो इसलिए देश को आज तुम लोगो से छूटकारा पाने का 


उपाय चाहिये!

कांग्रेस की परिभाषा परिवारवाद!

कांग्रेस कहती है कि पिछले 22 वर्षों से उत्तर प्रदेश में हमारा शासन नहीं है और इसके पिछड़ेपन की यह एक 


बड़ी वजह है। पिछले 40 वर्षों के कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में शासन की बात अगर हम छोड़ भी दें एक मिनट के 


लिए तो केंद्र के साथ–साथ महाराष्ट्र में कांग्रेस का ही शासन है और देश में सबसे ज्यादा किसानों ने अगर कहीं


आत्महत्या की है तो वो महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र है।


कांग्रेस की परिभाषा परिवारवाद, भ्रष्टाचार,लूट-खसोट ,कामचोरदकियानूसी पिछड़ेपन , रुढ़िवादी विचार का


 प्रतीक, धनी वर्ग की पछधर और ऐसी विकृत परिभाषा जिस दल की हो उस की कथनी और करनी दोनो में 


अंतरभेद स्वाभाविक है, देश की आजादी के पश्चात समस्त प्रदेशों में एक छत्र राज करने वाले इस दल की 


बदौलत देश आज महंगाई की उस कगार पर खड़ा है जहा मज़दूर, किसान, नौकरीपेशावर, महिलाये क्या युवा

आत्महत्या के लिए प्रेरित हो रहे है इसलिये हरेश जी काँग्रेस ने विगत 60 वर्षो में जंनसख्या के दबाव से देश 


को मुक्ति दिलाने में आत्महत्या के माध्यम से प्रेरित कर किसी एक प्रदेश पर ही नहीं अपितु समस्त भारत के 


लिए अहम योगदान दिया है!

जल ही जीवन है।



                          कभी प्यासे को पानी पिलाया नहीं, बाद अमृत पिलाने से क्या फायदा?


"विश्व समुदाय की दैयनिय विसंगति का सूचक अमीरी गरीबी जिसके फलस्वरूप जहा एक ओर अमीरों के  


पास असीम धन के भंडार है जिसका उपयोग कितना भी करे वह अंश मात्र है जबकि इसके विपरीत निर्धन 


भुखमरी के शिकार है और उस पर सरकार द्वारा आम जनता का मौलिक अधिकार हनन शर्मनाक है इसका 


सबसे बाड़ा उदाहरण की जब आम नागरिक अपने अधिकारों के लिए अपनी अभिव्यक्ति भी रखता है तो उसे 


विद्रोह का नाम दे कर कुचल दिया जाता है! यह हम्हारे देश की परम्परा ही थी कि एक प्यासे की प्यास बुझाना 


धर्म का कार्य माना जाता था परन्तु बदलते परिवेश में लोगों को स्वच्छ जल सुलभ कराने में सरकार नाकाम


 हो चुकी है जिसके परिणामस्वरुप जल ही जीवन म्रत्यु का अभिप्राये बन चुका है और लोग अस्वच्छ जल के


 चलते कुपोषण के शिकार हो रहे है! यह देश के लिए चिंता का विषय है कि जीवन का सत्य आज व्यवसाय 


का माध्यम बन चुका है जगह जगह पियाउ, चापाकल, और पानी की टोटी की जगह आज महँगी मिनरल


 वाटर ने ले ली है, अब आप ही सोचिये जहा एक गरीब दो जून की रोटी भी नहीं कमा सकता वह इस 


जलाधिकार से भी वंचित कर दिया जाए तो उसके साथ यह सरकार तंत्र का अन्याय नहीं तो क्या है, साफ़ 


और सीधे शब्दों में कहूँ तो हवा पानी प्राकृतिक सम्पदा है और इसे मानवाधिकार के दायेरे से भला कोई कैसे 


अलग कर सकता है अतः राष्ट्रीय रणनीतियों में एक महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है! "

Sunday, February 5, 2012

मातपिता


जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल!
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल!
गिरते पड़ते कदमों को थामने वाले!
मन भीतर भाव को भापने वाले!
जीवन की नव राह दिखलाने वाले! 
नवजात शिशु से नवयुवा बनाने वाले!
इस भरी दुनिया पहचान दिलाने वाले!
इस अज्ञात धरा के अनरुप बनाने वाले!  
जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल!
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल!
यह कैसा दुर्भाग्य विधि का पूछता हूँ!
क्या यही हश्र अपना होगा सोचता हूँ!
क्यों भूल कर भी यह भूल हमसे होती है!
क्यों अपने ही दुधजने पर माँ रोती है!
क्यू पिता के सपने यू टुट कर बिखरते है!
वक्त की दहलीज़ पर क्यू रिश्ते बदलते है!
कोमल शिशु के स्वप्न सजाने वाले!
हर मोड़ हर राह हम्हे सम्भालने वाले!
ख़ुद से कही ज्यादा हम्हे चाहने वाले! 
निष्ठुर जीवन का हर सही ग़लत बताने वाले!
जिनके अनुभव हम बनते दुनिया के काबिल!
क्यू जीर्ण शीर्ण घुटते वह मातपिता तिल तिल! 
जिनके दम से कोमल कदमों को मिलीं मंज़िल!
जब हुए वृद्ध तब उनसे कदम मिलाना मुश्किल!

Saturday, February 4, 2012

सियासत धंधा खानदानी हो गया


शिराओं में बहता खून पानी हो गया!
सियासत कि राह पर नेता हैवानी हो गया!
जनता पर सितम आम कहानी हो गया!
सत्ता का सबब अजब परेशानी हो गया!
बाबत कुर्सी के हर चीज हुई जायज!
कुर्सी के आड़ में पले धंधे नाजायज!
बेशरम सियाससत चली दौलत की राह!
रास्ते जो आया ना मिलीं उसे पनाह!
ताजपोशी के हौसले, दल गिरोह में तबदील!
त्राहीमान जनता की बेअसर हर दलील!
बाहुबलियो से भरे सदन के गलियारे!
किसमें है हिम्मत जो इनको उखाड़े!   
सत्ता दौलतमंदो की रिहाईश हो गयी!
राजनिती पुस्तैनियो की फर्माईश हो गयी!
जनता की आवाज तो बिखरती ख्वाइश हो गयी!
देश की आबरु बेदर्द नुमाइश हो गयी! 
हुआ देश पर मौका परस्तो का कब्जा!
धर्म के नाम फैलाया मर मिटने का जज्बा!
प्रदेशों के टुकड़े कर,किया देश को खंडित!
घोटाले में लिप्त मंत्री हुए महीमा मन्डित!
लुप्त समाजसेवा, सियासत धंधा खानदानी हो गया!
टिकट के मार्फत लुटतंत्र में आसानी हो गया!
जो विद्रोह करे तो खदेड़ दो मुँह जुबानी हो गया!  
सियासत का हर पैतरा अब बैमाँनी हो गया! 
शिराओं में बहता खून पानी हो गया!
सियासत कि राह पर नेता हैवानी हो गया!

Friday, February 3, 2012

वीं आई पी ट्रीटमेण्ट!


देश में व्याप्त भ्रष्टाचार के लिए खामखवा शोर मचाने वाले अण्णा और रामदेव पर सरकार का अंकुश जायज है, यह कौन होते है जो समाज को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने की अगुवाइ करते है, आख़िर सरकार और प्रशासन को डंडे का इस्तेमाल करने पर मजबूर करने वाले यह देश प्रेमी यह क्यों नही समझते की वे अजमल कसाब नहीं जिसने आतंक का नंगा नाच खेला तभी सरकार ने खुश हो कर उसे वीं आई पी घोषित कर दिया और देश के खजाने से लाखो रुपए की सौगात उसके रहन सहन पर खर्च कर रहे है वरना भ्रष्टाचार की आवाज़ से आवाज़ मिलाने वाली बहन राज बाला को पुलसिया कहर से शिकार हो कर मौत मिलना स्वभाविक है! संसद पर हमला करने वाले अफ़ज़ल गुरु के प्रति भी देश ने “सेकुलर राष्ट्र” होने का सबूत दिया है अफ़ज़ल गुरु किए कार्यों पर यदि नजर डाले तो उसकी गोलियों के शिकार जवान के घरवाले खून के आँसू रो रहे है और जिसके फलस्वरूप सरकार ने उसे भी गुरु का ही दर्जा दे डाला और उसे वीं आई पी ट्रीटमेण्ट के तहत रोटीबोटी, नियमित डॉक्टरी जाँच, सुबह पढ़ने के लिए अखबार,वातानुकिलित शयन आदी मुहैया करा डाला! काँग्रेस में में अनगिनत तिकड़म बाज़ और सत्तालोलुप व्यक्ति है! इन्ही में से एक तिकड़मी नेता पैदायशी तो हिंदू है परंतु स्वभाव से हिंदूविरोधी है। मध्य्प्रदेश का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि यह व्यक्ति दस वर्ष तक मध्य प्रदेश का मुख्य मंत्री रहा और अपने कार्यकाल में प्रदेश को पूरी तरह से बरबाद करने में लगा रहा! सेकुलरवाद की आड़ में इसने अपनी सत्ता को बचाया और सिम्मी जैसे आंतकवादी संगठन को संरक्षण देकर ,उसे फलने फूलने ,और विस्तार करने के लिए हर तरह की मदद दी .इसके शासन काल में सिम्मी ने प्रदेश के हर जिले में अपना जाल बिछाया और आज यह सम्पुर्ण राष्ट्र के लिए आंतकवाद का पर्याए बन चुका है! यह कहना ग़लत नहीं होगा की सिम्मी की सहायता से ही दिग्विजय सिंह १० साल तक सत्ता पर टिका रहा! यह मध्यप्रदेश का भाग्य ही था जब वर्ष २००३ के चुनाव में उमा भारती ने मध्य प्रदेश की जनता को इस राक्षस से मुक्ति दिलायी।
आतंकवादिओं के संरक्षकों का यदि नारको टेस्ट कराया जाए तो अवश्य उनका घिनोना रूप प्रकट हो जायेगा, वैसे इसकी जरूरत नहीं क्योकी वर्तमान में यह इतने बाहुबली हो चुके है की आम आदमी की पहुँच से बाहर है और इतनी सी बात यदि केजरीवाल व किरण बेदी समझ लेती तो उन्हे आए दिन के झूठे आरोपों और कोर्ट कचेहरी के चक्कर नहीं काटेने पड़े!   अरे भाइ अण्णा और रामदेव दोनों ही जब यह समझना ही नही चाहते की राज तंत्र की पसंद और नापसंद क्या है तो सरकार का क्या दोष, कुछ ऐसा करो की मानवाधिकार भी तुम्हारा पक्छ ले जैसे आज देश अफजल और कसाब के साथ खड़ा है वैसे ही तुम्हारे साथ भी खड़ा होगा बस नीयत में खोट लाने की आवश्यकता है इसलिये व्याप्त भ्रष्टाचार का समर्थन करो राजतंत्र तुम्हारा समर्थन करेगा!
तो बोलो भ्रष्टाचार जिंदाबाद और भ्रष्टाचारी रहे आबाद!
धन्यवाद!

Thursday, February 2, 2012

इकिस्वी सदी का भारत


चुल्हा जले ना चक्की चले!

निर्धन तो बस भूखों मरे!

यह इकिस्वी सदी का भारत है

बेबस लाशों पर खड़ी इमरात है!

महंगाई मुँह बाये खड़ी है!

ना बीते वह मुश्किल घड़ी है!

यह देश वही जहा कांड हवाला!


टुजी थ्रीजी अनगिनत घोटाला!


दुजी ओर स्वप्न निवाला!


पर नहीं कोई है सुनने वाला!


होती यहा कागजी कार्यवाही!


तारीख तले दबती सुनवाई!


क्यूकि दबंग सियासत बुलंद किले!


और निर्धन को बेबसी मिलें!


यह भारत की स्तरविहीन सियासत है!


यहा निर्धन केवल आफत ही आफत है!


जिनके पल्ले दुखों की झड़ी है!!


मरे जिये फिक्र किसे पड़ी है!!


राजतंत्र के सब कोरे वादे!


अपनी ही जेबों के मशगूल इरादे!


जिसमें निर्धन का घरबार जले!


रोना भी मुहाल हुआ!


राजतंत्र को विलाप खले!


चुल्हा जले ना चक्की चले!


निर्धन तो बस भूखों मरे!