Saturday, December 29, 2012

मन के गुबार

  1. मन के गुबार दबा के क्या होगा
    दर्द कि इंतिहा जगाँ क्या होगा
    जमाने में हजार रहनुमा है
    अनजान बने तो भला क्या होगा
    दूरियां मिटती है मिटाने से
    दिलो से दूरियां बना क्या होगा
    एक कदम तुम बड़ों
    फिर देखो साथ यह जहां होगा

    Photo: तुम सोच हो मेरी 
जिसे सोच कर मै कभी उदास 
कभी दूर कभी नितांत पास
कभी एक मीठा एहसास 
तुम्हारी अहमियत इतनी ख़ास
की मै अपने वजूद को अधूरा पाता हूँ
जब तुम्हारी सोच से दूर जाता हूँ
नहीं जनता तुम क्या सोचती हो
पर मै सोचता हूँ तुम जरूर सोचती हो
वैसे ही जैसे मै सोचता हूँ
हर पल हर छ्ड़
क्योँकि तुम सोच हो मेरी..........

एहसास


  1. हुआ जब एहसास उन्हें मोहब्बत का
    चाह के भी मुझे पा न सके
    दर्द था उनको भी दर्दे दिल का
    पर मेरा सहारा पा ना सके
    मेरे क़रीब आने की कोशिस में
    सारी रात वह मेरे सिरहाने रोते रहे
    हुआ था सफर पूरा उन्हें मनाने मे
    इसलिये हम मजबूर कब्र में सोते

तड़पती हर सलवट


  1. इंतज़ार से भरीं तेरे बिस्तरे की
    तड़पती हर सलवट होगी
    दिल की आवाज़ सुन कर देखो
    मेरी आहट क़रीब होगी
    लबो पे प्यार गुदगुदा के देखो
    मेरी मुस्कराहट क़रीब होगी
    ... जो महसूस न किया अबतक
    वह् चाहत तेरे पास होगी
    चाहतों की मौजूदगी में जानम
    लम्हे जिंदगी बड़ी ख़ास होगी
    तेरी गर्म सांसो में सनम
    मेरे वजूद की गुनगुनाहट होगी
    ख्यालो के झरोखे में झाख के देखो
    उमड़ते जज़्बात हाथों में लट होगी
    मेरे दिल के उफान में शामिल
    तेरी भी हर बदलटी करवट होगी
    इंतज़ार से भरीं तेरे बिस्तरे की
    तड़पती हर सलवट 
    होगी...................

आस्तीन के साँप


  1. समुन्दर के सीने में एक डूबने का डर
    न जाने किस घड़ी कर गया घर
    कस्ती किनारे क्या साहिल को लाये
    जब पेंदी का छेंद ख़ुद को डुबाये
    मौत कही ताक में नहीं थीं बैठी
    आस्तीन के साँप ने इनाम दीं थी
    ... जो कहँ रहे गरिमा बचाओ घर की
    वही नीव रख रहे है नरक की
    सियासी हस्तियां है हर महकमा ग़ुलाम इनका
    भूख और गरीबी भी इनाम इनका
    मन्दिर की घंटिया इनकी और इमाम इनका
    हैसियत-ए दबंगई में नाम इनकाSee more

दो वक्त कि रोटी


  1. कितने लोगो को दो वक्त कि रोटी मिलती है
    और कितनो की सुबह उम्मीदों से मिलती है
    सर्द रातों में ठिठुरते तन को चीट नसीब कहां
    सर छुपाने को मिलीं जिन्हें नीली छतरी यहां
    जिनके के दम से रौशन सत्ता के गलियारे है
    वह शासन और प्रशासन से हुए किनारे है
    ... आवाज़ दब सी गयी भीड़ में गला दुखने तक
    कोई भी सुध नहीं लेता गरीब के मरने तक
    सियासत को इंतज़ार इस भीड़ के गुजरने का
    पक्ष और विपक्ष को इंतज़ार मुद्दा मिलने का
    किसी की मौत किसी की रोटियां है सिकती
    खामियाजा गरीब की जिंदगी कौड़ियों में बिकती..................
     

खोज


  1. खोज सकारात्मक व्यक्तित्व और नजरिये की, परिणाम असफलता, आख़िर यह कैसी विडम्बमना है की हम बात खोज की करते है और स्वम में ही अधूरे नजर आते है कितने ही मौके आते जब शंशय से ख़ुद को घिरा पाते है, लाख कोशिसो के बाद भी सकारात्मक सोच जीवन का पहलू नह...ीं बनती और सच्चाई का आइना नकारात्मक पहलुओं की बुनियाद को मज़बूत कर देता है, आदमी चाहे या ना चाहे कोई न कोई मजबूर करता है विरोधाभास के लिए, उदाहरण के लिए यदि आप मन बना ले की किसी से झगड़ना नहीं है परंतु यह आप पर निर्भर नहीं करता क्योँकि यदि सामने वाले की फितरत में वाद विवाद कुट कुट कर भरा है तो आप के मौन रहने की अवधि ख़ुद-बा-ख़ुद न्यूनतम हो जायेगी और आप ख़ुद को बहस करने वालों की श्रेणी में खड़ा पायेंगे! कटु सच्चाईयों से भरे इस समाज में कोटि कोटि के व्यकितित्व शामिल है कुछ झगड़ालु, कुछ हर बात को बहस की हद तक ले जाने वाले, कुछ पुराने विवादों को पालने पोसने के आदि तो कुछ को जीत का आनंद ही अपनी बात मनवाने में आता है अपितु वह् ग़लत ही क्यो न हो, ऐसे में जो आप से बड़े ओहदे पर है उन्हें झेलना मजबूरी है और यदि आप से छोटे या समकछ है तो न चाहते हुए भी खिच खिच स्वाभाविक है, तो यह उपाय भी निर्थक है की एक चुप तो हजार चुप क्योकी मजबूर करने वाले हालत बिन बुलाये मेहमान की तरह आपके जीवन के इर्द गिर्द ही मँडराते है जिनसे हम आप चाह के भी नहीं बच पाते है आौर असफल खोज जारी रहती है सकारात्मक व्यक्तितव की................ सकारात्मक सोच की………………सकारात्मक रवइये की………..असफल परिणाम के साथ 

शर्तों पर एडमिशन,


  1. शर्तों पर एडमिशन, जेबों में अजर्रा पैसा हो, शान शौकत और बड़ी गाड़ी घोड़ा हो, अधिकारियो और नेताओं से पहचान भरा रुतबा हो तो आपके बच्चे का एडमिशन किसी भी स्कूल में हो जयेगा वरना कतार में थे कतार में है और कतार में रहेंगे तब तक जब मठठाधिशो के सप...ुत्रो सपुत्रियो के दाखिले के बाद के बचे रिक्त स्थान घोषित नहीं हो जाते, परंतु उसके पश्चात भी आपके पास स्कूल वेल्फेयर शुल्क, स्कूल डेवलपमेंट शुल्क, जैसे मदों के लिए कम से कम 50 से 60 हजार रुपये अवश्य होने चाहिए अन्यथा आपके बच्चो को पब्लिक या कान्वेंट में पढ़ने का अधिकार नहीं है क्योकि शर्तें लागू है.............

मन उदास सा हुआ तुम्हारी याद में


  1. मन उदास सा हुआ तुम्हारी याद में
    करवटें बदलते रहे हम सारी रात में
    जो तुझमें वह् कहा किसी बात में
    तुम ही तुम मेरे अहले जज़्बात में
    यह दूरियां दिल को समझाना मुश्किल
    दिल के अरमान मेरे दिल से मिल
    ... तेरे एहसास से धड़कता है यह दिल
    तू ही आगाज ए सनम तू ही मंजिल
    भटकते मन का चैन तेरे पास में
    मिलेगा सुकून मुझे तेरे ही साथ में
    मन उदास सा हुआ तुम्हारी याद में
    करवटें बदलते रहे हम सारी रात में

सर्द रातों में काँपते होठ


  1. सर्द रातों में काँपते होठों पर तेरे नाम की दस्तक
    कोसों दूर सनम तू पर खीँच लाया यादों का चुंबक
    ख़ुशबू फूलों कि कहा लुभाती ज़हन में तेरी ही महक
    तेरी आहट तकती निगाहे और राहो में बिछी है पलक
    मेरे प्यार के पंछी एक बार तो मेरे मन में चहक
    मै यहा तू कहा मिटा भी दे दर्दे दिल कि हर कसक
    सर्द रातों में काँपते होठों पर तेरे नाम की दस्तक

लाल पत्थरो के महल

  1. Photo: योग से विजय कि जगह भोग से विजय का नारा बुलंद कराने वाले सरकारी मेहमानों को सजा हो इसके लिए हम आप लाख चाहे तो क्या होता, वही होता है जो मंजुरे कानून होता है, तभी तो आतंकवादी, अपराधी, बलात्कारी कानूनी दाँव पैच से अपने ज़ुल्मों सितम की पैरवी इतनी लंबी खीँच ले जाते है की मासूम लाचार जनता समय के साथ भुलाने पर मज़बूर हो जाती है और निठारी केस  के दरिन्दे या मुंबई ब्लास्ट के हत्यारे निश्चिंती के साथ सरकारी मेहमान बन कर एक आम आदमी के मुँह पर तमाचा मारने में कामयाब हो जाते है! यह भारत का कानून और सियासत का कटु सत्यं है.......................योग से विजय कि जगह भोग से विजय का नारा बुलंद कराने वाले सरकारी मेहमानों को सजा हो इसके लिए हम आप लाख चाहे तो क्या होता, वही होता है जो मंजुरे कानून होता है, तभी तो आतंकवादी, अपराधी, बलात्कारी कानूनी दाँव पैच से अपने ज़ुल्मों सितम की पैरवी इत...नी लंबी खीँच ले जाते है की मासूम लाचार जनता समय के साथ भुलाने पर मज़बूर हो जाती है और निठारी केस के दरिन्दे या मुंबई ब्लास्ट के हत्यारे निश्चिंती के साथ सरकारी मेहमान बन कर एक आम आदमी के मुँह पर तमाचा मारने में कामयाब हो जाते है! यह भारत का कानून और सियासत का कटु सत्यं है.......................
    1. लाल पत्थरो के महल में जाने क्या क्या बात हुयी!
      Photo: लाल पत्थरो के महल में जाने क्या क्या बात हुयी!
तीनों पहर बीत गये सुबह शाम और फिर रात हुयी!
सड़कों पर उमड़ा सैलाब तो लाठी कि बरसात हुयी!
हरबार की तरह विश्वास था टूटा अरमानो कि घात हुई!
एक तरफ़ जनता सारी दूजी ओर नेताओं की जात हुयी!
वाद विवाद खोखले मतभेद दिखावे की जूता लात हुयी!
टिकी फैसले पर थी आँखें पर धूमिल सियासियो के हाथ हुयी!
लाल पत्थरो के महल में जाने क्या क्या बात हुयी!
तीनों पहर बीत गये सुबह शाम और फिर रात हुयी!
      तीनों पहर बीत गये सुबह शाम और फिर रात हुयी!
      सड़कों पर उमड़ा सैलाब तो लाठी कि बरसात हुयी!
      हरबार की तरह विश्वास था टूटा अरमानो कि घात हुई!
      एक तरफ़ जनता सारी दूजी ओर नेताओं की जात हुयी!
      वाद विवाद ...खोखले मतभेद दिखावे की जूता लात हुयी!
      टिकी फैसले पर थी आँखें पर धूमिल सियासियो के हाथ हुयी!
      लाल पत्थरो के महल में जाने क्या क्या बात हुयी!
      तीनों पहर बीत गये सुबह शाम और फिर रात हुयी!See more

श्राप


  1. जाते जाते अँगरेजों के, यह किसका श्राप घर कर गया!
    नाम की आजादी पर लोकतंत्र कुतंत्र में बदल गया!
    कहने को इनमें मतभेद तो होते है पर मनभेद नहीं होते
    सियासियों के दावपेच में दल दल के अंतर्विरोध नहीं होते
    लोकपाल जनहित में था सो हर दल एकमत विरोध ...कर गया
    एफ.डी.ए था खद्दर के माकूल इसी लिए एकमत बन गया
    विरोध के दिखावे हुए और महँगाई का स्तर बड़ गया
    गरीबी में आटा गीला उस पर सवाया तीर चल गया
    फिर आम आदमी को क्या फर्क की कौन मंत्री बन गया
    आम घास जो बना वही देश में जी का जंजाल बन गया
    जाते जाते अँगरेजों के, यह किसका श्राप घर कर गया!
    नाम की आजादी पर लोकतंत्र कुतंत्र में बदल गया!See more

गरीबी मिटाने का सही उपाय


  1. गरीबी मिटाने का सही उपाय
    गरीबी की जगह गरीब को मिटाये
    देश तरक्की सीमा लांघने को है
    घोटाले तो एक परख जाँचने को है
    की देश कितना भी खो कर खड़ा है
    इसके बाज़ूओं में अभी दम बड़ा है
    ... जैसे सोना तप कर खरा होता है
    जैसे बूँद बूँद से सागर बड़ा होता है
    ऐसी ही कोशिस सियासियो की है
    यह समझ कहा आमआदमी के बस की है
    पहले ख़ुद को तो मज़बूत करे यह इरादा है
    फिर बेसहारो को देंगे सहारा यह वादा है
    पूरी उम्र ख़ुद कि मज़बूती में निकल जाएँ
    तो यह जनता उन्हे गुनहगार न ठहराये
    इसी लिए अब नया तरीका इजाद किया है
    गरीब को जिंदगी से ही आज़ाद किया है
    तरीके आसान कुछ भूख से मर जायेंगे
    कुछ कर्ज़ के चलते आत्मदाह कर जायेंगे
    तो कुछ सर्द रातों के थपेड़े ना सह पायेंगे
    जो बचे वह आंदोलन में बलि के बकरे बन जायेंगे
    होगी न खिचखिच, होगी ना काये काये
    रोज़ की सफाई क्या किसी को बताये
    गरीबी मिटाने का सही उपाय
    गरीबी की जगह गरीब को मिटाये………………..

मानस हित


  1. मानस हित कुछ कीजिये, बिन कीजे सब बेकार
    जीवन यू ही बीता जात है, बचे दिन अब चार
    मोह माया भी अर्थ है जिससे यह संसार
    पूर्ण जगत् से मोह करो जो जीवन का सार
    क्योँकि इस जीवन के बाद बस रह जाए व्यवहार
    कौन है अपना कौन पराया
    ... किसका कौन सदा रह पाया
    जोड़ तोड़ की मोह और माया
    तो जैसे आया तन वैसे जाया
    तो मंथन की इस बेला में कर पुनहा विचार
    रहे बचो से कर अपनो से अपनो का विस्तार
    एकाकी जीवन में सांझी सुबह का हो प्रसार
    मिल बाँट कर कट जाते काँटों के भी अम्बार
    मानस हित कुछ कीजिये, बिन कीजे सब बेकार
    जीवन यू ही बीता जात है, बचे दिन अब चार

तुम सोच हो मेरी


  1. तुम सोच हो मेरी
    जिसे सोच कर मै कभी उदास
    कभी दूर कभी नितांत पास
    कभी एक मीठा एहसास
    तुम्हारी अहमियत इतनी ख़ास
    की मै अपने वजूद को अधूरा पाता हूँ
    ... जब तुम्हारी सोच से दूर जाता हूँ
    नहीं जनता तुम क्या सोचती हो
    पर मै सोचता हूँ तुम जरूर सोचती हो
    वैसे ही जैसे मै सोचता हूँ
    हर पल हर छ्ड़
    क्योँकि तुम सोच हो मेरी........

सियासत के ठेकेदार


  1. Photo: थक गए लोग अब आराम करके
इस लिए खलल करने आ गए 
जो जात वर्ण विभाजन में न थी
नइ कौम पैदा करने को आ गए 
इन्हे अमन से नफरत बड़ी 
इस लिए बारूदी सुरंग ही बिछा गए 
शौक खरीद फरोख़्‍त का इनको
तो चमन की ही बोली लगा गए
सर बदन सफेद पोशाकों से ढके
पर मन की गंदगी जहां में फैला गए
मजबुरियत हालातों के जिम्मेवार
बेबाक बातों की दवा दिला गए
भूख गरीबी कि कगार पर जनता
यह जीते इंसानो की चिता जलाने आ गए
इन्हे सियासत के ठेकेदार कहे
जो सत्ता पर दीमक सा छा गए है
चुनाव का बिगुल क्या बजा
गली गली मेढ़क सा टर्र टरा गए हैथक गए लोग अब आराम करके
    इस लिए खलल करने आ गए
    जो जात वर्ण विभाजन में न थी
    नइ कौम पैदा करने को आ गए
    इन्हे अमन से नफरत बड़ी
    इस लिए बारूदी सुरंग ही बिछा गए
    ... शौक खरीद फरोख़्‍त का इनको
    तो चमन की ही बोली लगा गए
    सर बदन सफेद पोशाकों से ढके
    पर मन की गंदगी जहां में फैला गए
    मजबुरियत हालातों के जिम्मेवार
    बेबाक बातों की दवा दिला गए
    भूख गरीबी कि कगार पर जनता
    यह जीते इंसानो की चिता जलाने आ गए
    इन्हे सियासत के ठेकेदार कहे
    जो सत्ता पर दीमक सा छा गए है
    चुनाव का बिगुल क्या बजा
    गली गली मेढ़क सा टर्र टरा गए है
    थक गए लोग अब आराम करके
    इस लिए खलल करने आ गए ...................

  1. दिल्ली गैंगरेप पीड़िता को बचाने की हर मुमकिन कोशिश नाकाम हो गई। शरीर के कई अंगों के काम बंद कर देने से शनिवार तड़के सिंगापुर के अस्पताल में उसका निधन हो गया। दामनी की मौत की ख़बर ने पूरे देश को हिला कर रख दिया,हालाँकि मौत की ख़बर कितनी नई या कितनी पुरानी इस पर अटकलें पहले से ही गर्म थीं, देश में जिस तरह से यह शर्मनाक घटनाक्रम हुआ लोगो में आक्रोश और सही इंसाफ की इच्छा प्रबल हो गयी, मेरी देश की का...नून व्यवस्था से विनय अपील है की दामनी की मौत के बाद वह दरिन्दे जो इसके जिम्मेदार है उन्हें भी साँस लेने का हक नहीं है अतः कानून के किसी प्रावधान के तहत तुरंत खुले आम सजाये मौत जैसा ठोस कदम उठाया जाना चाहिये.........ताकि यह अपराध अपराधियों की सूची से मिट जाए और जिंदगी की जद्दोजहत से हारी दामनी और उसके परिवार को कुछ राहत मिल सके, सवेदनशील इस घड़ी में मै इतना ही कहूँगा आज हर माँ बाप ने अपनी उम्मीद को खॊया है जिसकी पूर्ति नेताओं के भाषण से नहीं बल्कि उपयुक्त कदम से ही हो सकती है...............भगवान दामनी के परिवार को शक्ति दे और उसकी आत्मा को शांति............

    अरुन गर्ग के झकझोरने वाले शब्द.................. *दामिनी ,नहीं रही -- जिन्दगी की जंग ,दामिनी नहीं -मेरे जैसे माँ -बाप हार गए हैं ****
    भारत का लोकतंत्र हार गया है -समाज हार गया है -और हैवान -फिर से जीत गए हैं -उसकों हैवानो ने मुर्दा सा तो पहले ही कर दिया था -
    सरकार ने भी देश को धोखा दिया .इतनी संवेदनहीनता ????
    सामाजिक सुधार जरुरी हैं -पर उसमे समय लगेगा-तो कोई ज्यादा भाषण ना दे
    ***वर्तमान में जरुर...ी है -
    1-इन 6 शैतानों को खुले आम फांसी दो
    2- सरकार तुरंत -कानून पास करे ,जिसमे फांसी की सजा हो-और पीडिता व् उसके परिवार की सुरक्षा का भी प्रावधान हो
    3- और जो नेता - बकवास कर रहे हैं -उनको जेल में डाला जाएँ- और मुकदमा चला कर -उनको चुनाव ना लड़ने दिया जाए
    4- संसद में जिनके ऊपर "बलात्कार "के मुकदमे चल रहे हैं उनकी संसद सदस्यता ख़त्म की जाए.....और जब तक कोर्ट
    का फैसला ना आयें , वो कोई चुनाव ना लड़ संकें
    .............और काम बाद में .....

Friday, August 24, 2012


आंदोलन................


घुटन


हलचल


खुबसुरती


मौन होठ


दिल


जिंदगी का मकसद


मकसद


यकीन


जिंदगी का मायने


Monday, August 13, 2012

यत्न प्रयत्न का अंत न हो


  1. यत्न प्रयत्न का अंत न हो
    जबतक विजय जीवंत न हो
    तुम लगे रहो तुम डटे रहो
    पुरूषार्थ मार्ग पर बने रहो
    जीवन तो है कठोर तपस्या
    अशक्त न हो देख् समस्या
    ...
    बिना कर्म के प्रभुत्व कहा
    दुर्बल निर्बल का महत्व कहा
    कर्मठ मानुस तो हार नही
    साहस बिन जीवन पार नहीं
    इच्छित लक्ष्य से साक्षात्कार नहीं
    विकट विपदाओं का निस्तार नहीं
    हो मात्र आस् परंतु प्रयत्न न हो
    स्व:इच्छाओं का किंचित तत्व न हो
    आत्म शक्ति पर अधिपत्य न हो
    निरी योजना पर योग्य क्रत्य न हो
    तो संघर्षों भरा जीवन पार नहीं होता
    दाँव पैच से जीवन में श्रंगार नहीं होता
    कटुसत्य अनुकम्पा से जीवन पार नहीं
    बिन कर्म किए अचल अचर उद्धार नही
    निकम्म को अकर्म का पुरुस्कार नहीं
    परंतु यदि हो तेजस्वी तो तिरस्कार नही
    सघन विवश्ता से किले विध्वंश न हो
    जब तक धनुधर के अंकित अंश न हो
    तो हे मानुस लगे रहो तुम डटे रहो
    है जटिल घड़ी वज्र समान तने रहो
    यत्न प्रयत्न का अंत न हो
    जबतक विजय जीवंत न हो

आजादी की बंदरबाँट


  1. अरे भाई जब से हुयी है शादी तब से ही खड़ी खाट है
    और आज उसी खड़ी खाट कि आठवीं वर्षगाँठ है
    हर समय नजर उनक़ी और आजादी की बंदरबाँट है
    जमाने में चलती मेरी पर घर में हर बात की काट है
    क्योँकि मियां तो बीबी के आगे एक रिजेक्टेड लाट है
    यह तो घर घर ...
    की कहानी है न जाने क्यू मन उचाट है
    अविवाहितो से होती जलन जिनके अभी तलक ठाठ है
    एक हम जिसकी आज शादी की आठवीं वर्षगाँठ है
    क्योँकि जब से हुयी है शादी तब से ही खड़ी खाट है

तुम याद आए


  1. गीत लबो ने जो गुनगुनाये
    तो तुम याद आए
    हुयीं नाकाम हर सदाये
    पर तुम नहीं आए
    अश्क आँख में जब आए
    हम इस उम्मीद से नहाये
    ...
    की जो तेरी याद में आए
    उसे कैसे पी जाए
    ये सोच समंदर बहाये
    पर तुम नहीं आए
    अजब उदासियो के साये
    पर इश्क न लड़खराये
    रहे नजरों को हम बिछाये
    ख्वाब बुनती यह निगाहें
    हर सदा निहारती राहे
    पर तुम नहीं आए
    गीत लबो ने जो गुनगुनाये
    तो तुम याद आए

मन के गुबार


  1. मन के गुबार दबा के क्या होगा
    दर्द कि इंतिहा जगाँ क्या होगा
    जमाने में हजार रहनुमा है
    अनजान बने तो भला क्या होगा
    दूरियां मिटती है मिटाने से
    दिलो से दूरियां बना क्या होगा
    एक कदम तुम बड़ों
    फिर देखो साथ यह जहां होगा

  1. Photo: भीगने को तन मेरा उत्सुक हुआ
बादलो ने किया क्यू धुँआ धुँआ
अब के सावन कब बरसेगा
रिमझिम को यह तन कब तक तरसेगा
बाट मेरी लंबी रातों सी 
बिन निंदिया तरसी आंखो सी
मेघ ना बरसे आँखें बरसी
रिमझिम के बिन तरसी तरसी 
धरा को मेघा का इंतज़ार हुआ
काहे सावन मुआ फिर आकाल हुआ

    दबा के क्या होगा
    दर्द कि इंतिहा जगाँ क्या होगा
    जमाने में हजार रहनुमा है
    अनजान बने तो भला क्या होगा
    दूरियां मिटती है मिटाने से
    दिलो से दूरियां बना क्या होगा
    एक कदम तुम बड़ों  
    फिर देखो साथ यह जहां होगा

आँख


  1. इन आँखों ने देखे मंज़र बहुत
    कभी आँखें थी मेरी कभी आँखें थीं तेरी
    इन्हीं आँखों में पलते सपने बहुत
    कभी डबडबाई तेरी कभी डबडबाई मेरी
    टूटे जो सपने कभी जब अपने
    आँखों को खलती निराशित परछाई
    ...
    मन्शा नहीं था दिल को दुखाना
    पर आँखों का तो है काम दिखाना
    दर्द कि सतह या खुशी का ठिकाना
    आँखें भला करे क्या बहाना
    मजबूर आँखें क्या मेरी क्या तेरी
    इन आँखों ने देखे मंज़र बहुत
    कभी आँखें थी मेरी कभी आँखें थीं तेरी

चरित्र की शहादत


  1. खूबसूरती दिखावे फैल्सुफी की आदत
    के चलते ही हुयीं चरित्र की शहादत
    सच ही सुनी हमने पुरानी कहावत
    नए मुल्ले को होती प्याज की आदत
    पहचान भूलें विरासत से मुँह मोड़ा
    फैशन की दौड़ में पहचान को छोड़ा
    ...
    कितने ही अपनो का दिल है तोड़ा
    दिखावा हुआ ख़ुद के जीवन का रोड़ा
    मिटने को तस्वीर मिटाने को तबीयत
    जाने यह कैसी हम इंसाँ कि नीयत
    कि अपनयी हमने यह गंदी आदत
    जिसके चलते ही हुयीं चरित्र की शहादत
    कब्र अपनी खोदी तो कैसी शिकायत
    काली रातों में उजाले कि कैसी चाहत
    सच ही सुनी हमने पुरानी कहावत
    नए मुल्ले को होती प्याज की आदत

तेरा इंतज़ार


  1. यह नजर आज भी बस तेरा इंतज़ार करे
    सनम जिंदगी जीने को तुझसे इजहार करे
    देर न हो जाए घड़िया हर पल बेहाल करें
    गमगीन तबीयत खंजर सा सीने के पार करे
    हद क्या थी क्या पता दिल तो बस प्यार करें
    शूल सी चुभती सर्द रातें, देह में अंगार भरे
    ...
    कहूँ क्या शबनम तेरे नाम की दिल बेजार करें
    यह नजर आज भी बस तेरा इंतज़ार करे
    सनम जिंदगी जीने को तुझसे इजहार करे